यह सोशल-साइट्स हैं। यहां स्‍नेह और आनंद बटोरिये, घृणा नहीं

: सर्वज्ञ नहीं, सर्वज्ञदास बनना श्रेयस्‍कर : अंतस टटोलिये, दूसरे के गिरहबान में तांका-झांकी नहीं : स्‍त्री को जीतने की कोशिश के बजाय उन्‍हें अपनाना चाहिए : ज्ञान के कींचड़ में नहीं, प्रज्ञा-उपवन में कुलांचे भरिये : कुमार सौवीरलखनऊ : दोस्‍तों ! हम सोशल-साइट्स में है, जहां व्‍यक्ति भी हैं, और समूह यानी ग्रुप नुमा […]

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