आइये, शलभमणि त्रिपाठी को शहद लगा कर चाटा जाए

: ऐसी दोस्‍ती ! मेरे अल्‍लाह मौला तौबा-तौबा : हालांकि मित्रता के मामले में यह कहावत बेकार है कि न काम के न काज के, मन भर अनाज के : जान देने का तैयार हैं, मगर भित्‍तर-खाने वाली खबर देने में कांच निकल जाती है शलभमणि त्रिपाठी की : कुमार सौवीर लखनऊ : अब क्या […]

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