लिंग-परीक्षण में आमिर-किरण से भी हो सकती है पूछताछ

उसी डॉक्टर से शाहरूख-गौरी ने किया था सम्पर्क

मुम्बई : शाहरुख और गौरी खान के गर्भस्थ बेटे को लेकर लगी आग अभी तक बुझने वाली नहीं दिख रही है। हां, यह दीगर बात है कि इस विवाद के किसी निष्कर्ष तक पहुंचने का रास्ता जरूर दिखने लगा है। खबर है कि शाहरूख और गौरी ने उसी डॉक्टर से संपर्क किया था जिससे आमिर खान और किरण राव भी कभी पहले अपनी सरॉगसी के लिए संपर्क साधा था। अब इस सुराग के बाद जांच में जुटी अफसरों की टीम इसी डॉक्टर से पूछताछ करने की तैयारी में हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनकी जांच जारी है और वे जानकारी जुटा रहे हैं।

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लिंग-परीक्षण के विवाद पर चुप्पी साधे हैं शाहरूख खान

भारी पड़ गयी आर्यन और सुहाना के बाद पुत्र की चाहत

मुंबई : महाराष्ट्र की महिला समाजसेवी वर्षा देशपांडे की सक्रियता ने शाहरूख खान और गौरी को भारी मुश्किलों में डाल दिया है। देशपांडे ने ही पीसीपीएनडीटी कानून के मामले में शाहरूख की धज्जियां उड़ाने की तैयारी कर ली है। इस ताजा विवाद में किराए की कोख (सरोगेसी) के जरिए पिता बनने जा रहे बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान जन्म पूर्व बच्चे का लिंग परीक्षण कराने के मामले में दोषी पाए गए तो वे भारी मुसीबत में पड़ सकते हैं। शिकायत के बाद महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी के आदेश पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। पत्नी गौरी खान से शाहरुख पहले ही बेटे आर्यन और बेटी सुहाना के पिता हैं। विवाद खड़ा होने के बाद शाहरुख ने चुप्पी साध ली है।

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आखिर खान-दम्‍पत्ति को कैसे पता चला कि होनी वाली औलाद बेटा ही होगा ?

पीसीपीएनडीटी के संयोजक डॉ. जिग्नेश ठक्कर का बयान बेहूदा

: शाहरुख-गौरी का अपराध: कानूनी और नैतिक भी : रेडियोलॉजिस्‍ट ऐसोसियेशन की पहलकदमी को चूर-चूर कर रहे हैं डॉक्‍टर ठक्‍कर :  विदेश में जांच करने के बाद भारत में ढिंढोरा मचाना भी तो है समान अपराध :

मुम्‍बई : गौरी खान के गर्भस्‍थ भ्रूण को लेकर तूफान लगातार भड़कता जा रहा है। अब सवाल उठने लगे हैं कि आखिर शाहरूख और गौरी खान ने किस आधार पर अपनी होने वाली संतान का लिंग-निर्धारण कर दिया कि वह बेबी-ब्‍वाय ही होगा। जाहिर है कि शाहरूख ने गौरी के गर्भ का लिंग-परीक्षण कराया और उसके बाद जांच नतीजे को सरेआम प्रचारित करा दिया। उधर पीसीपीएनडीटी के संयोजक डॉ. जिग्नेश ठक्कर ने इस बारे में बयान दे दिया है कि अगर इन लोगों ने भारत में यह जांच करायी है तो वह अपराध के हिस्‍सेदार हैं, लेकिन अगर यह जांच विदेश में करायी गयी थी तो उनका कोई अपराध नहीं होगा। अब सवाल तो यह है कि विदेश में जांच कराना तक को ठीक करार दिया जा सकता है, लेकिन ऐसी जांच की रिपोर्ट को भारत में प्रचारित करना भी तो इस कानून और भारतीय मन-स्थिति की मूल भावना के खिलाफ है।

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