“आओ, रिश्तों की खाद बनाया जाए”
“आओ, रिश्तों की खाद बनाया जाए” रिश्ते चाहे वह जैविक हों, या फिर भावनाएं औपचारिक हों, अथवा आत्मीय या घनिष्ठ थोपे हुए हों, या फिर जबरन चिपकाये गये हों। उन्हें तोड़ कर फेंकना अक्लमंदी नहीं। बेहतर होगा कि उनको बटोर कर अपने से दूर कर दें। किसी गड्ढे में उन्हें दफ्न कर दिया जाए। सिलसिलेवार […]
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