मन्नू भंडारी को मैं कौशल किशोर से जानता हूं। वे महान थे
: कौशल किशोर जी लिखवाते थे, लेकिन पारिश्रमिक नहीं : नरेंद्र निर्मल के माध्यम से परिचय हुआ, अभिन्न हो गये। व्यवहार सुभाष राय जैसा : चाय और पराठा से बोहनी हुई और मैं मस्त : खाली पेट में बिस्कुट, समोसा, पकौड़ी या भूजा, तो आत्मा तृप्त, गंगा नहा लिया : सर्दियों में बोले कि आज […]
आगे पढ़ें