कुमार सौवीर इक जिद्दी आशिक, उसे ठुकराती है माशूका

: मेरे बारे में दूसरों की राय 75 फीसदी सच : पोएट्री के मामले में एक इल्‍लीट्रेट यानी निरक्षर-अनपढ़-जाहिल : मेरी कविता अभिजात्य भद्र-समाज के कवित्त-सभागारों में मुंह के बल धड़ाम : पोएटिकल एटीट्यूड है, लेकिन पोएट्री में पोलिटिकल एटीट्यूट नदारत : बेहतर समीक्षा तो करते हैं धनंजय शुक्‍ल, मैं उत्‍तीर्ण : कुमार सौवीर लखनऊ […]

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विश्‍वास का दंभ और टल्‍ली संपादक: पिटने से बचे कुमार विश्‍वास

: एक बड़े पत्रकार की दो पुस्‍तकों के लोकार्पण-समारोह की सफलता पर हुई थी एक झमाझम पार्टी : दिल्‍ली के बीएसएफ मेस में हुआ हादसा, जान बचा कर पतली गली से निकले कुमार विश्‍वास : दंभी विश्‍वास को धूल चटा डाला एक टल्‍ली हो चुके बड़े संपादक ने : कुमार सौवीर आप पार्टी के स्‍टेडियम […]

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मेरी ख्‍वाहिशों का भी इक जिस्‍म बना दे मौला

कुमार सौवीर चलो माना कि हम आफताब न बन पाये, ये भी माना, दहकते अंगार भी न हो पाये। मगर उनकी तपिश को क्‍या कहिये, उस साज-ओ-सोज को क्‍या कहिये। उनका क्‍या होगा जो माहताब में जिगर तपाये बैठे हैं, चीर कर सीने में उगाये बेमिसाल ख्‍वाब सुखाये बैठे हैं। ऐसे तलबगारों के गमों में […]

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