बहेलिया के तीर की प्रतीक्षा में हूं। आज मेरा बर्थडे है

: जिस कृष्‍ण को आप गरियाता हैं, वही आपको दु:शासनों से बचाता है : आज का कृष्‍ण बांसुरी नहीं, माउथ-आर्गन बजाता है : चोली-दामन नहीं, जांघिया-पेटीकोट सम्‍भालने की कोशिश कीजिए : कुमार सौवीर लखनऊ : केक, मालपुआ, मिठाई और दीगर सुस्‍वादु भोज्‍य पदार्थ तो दूर की बात है, मेरे जन्म को लेकर न जाने कितने […]

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क्यों दोस्तों? मैं सोच रहा हूं कि पेटीकोट पहनना शुरू कर दूं

: बुर्का-घूंघट को लेकर मचे बवाल से अब आजिज हो गया हूं मैं : कपड़ा पहनने-बदलने का काम अब ड्राइंग-रूम के बजाय अब अंखाड़े पर पहुंचा : किसी कपड़े से लूज या टाइट करेक्टंर का पता लगाया जा सकता है : कुमार सौवीर लखनऊ : कपड़ा उतारने-पहनाने का काम ड्रेसिंग-रूम के बजाय अब अखाड़ा-दंगल तक […]

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