रांड़, सांड़, सीढ़ी, संन्यासी से मत बचो। यह सब दायित्व हैं

: आवा राजा बनारस, आज फिर घुसल जाओ बनारस मा : इसी गूढ़ार्थ के आधार पर ही तो आज जीवित है काशी : कुमार सौवीर लखनऊ : आइये, आज फिर घुसा जाए बनारस में। बनारस में घुसने को हला जाता है। मुझे पता नहीं कि यह हलना शब्द कैसे बना। शायद हल से बना होगा। […]

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