फूल से हाथ जल गया साहब, कितना मौसम बदल गया साहब

अब क्या उजरत है मेरे पसीने की, अब तो सूरज भी ढल गया साहब कुमार सौवीर जौनपुर : आज फिर जौनपुर पहुंचा हूं। करीब 14 साल पहले मैं पहली बार जौनपुर में आया था। कोतवाली चौराहा पर दो-चार पान-बीड़ी और रबड़ी-मलाई की दूकानें डोलची आधी रात तक जागती थी। लेकिन बाकी शहर आठ बजे तक […]

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