बहंगी लचकत जाए’

काँच ही बाँस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए’ ‘केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मे़ड़राय: काँच ही बाँस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए’ : सेविले चरन तोहार हे छठी मइया। महिमा तोहर अपार। : उगु न सुरुज देव भइलो अरग के बेर। : निंदिया के मातल सुरुज अँखियो न खोले हे। :चार कोना […]

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