आओ वक्‍त रहते शिकवे-गिले मिटा लें… क्‍या पता ! कल हो, न हो

: न जाने कौन कब हमारी जिन्‍दगी की किताब से अपना पन्‍ना फाड़ कर चला जाए : कई बार खबरें जब रोने पर मजबूर कर रही हैं : मैं खिड़की से दुहरे मास्‍क लगाकर प्‍लेट में सुबह-शाम ऐसे खाना डालती हूं मानो वह कोई अस्‍पृश्‍य हो: साशा सौवीर नई दिल्‍ली : ‘आज एक हंसी और […]

आगे पढ़ें