धीरे-धीरे मचल ऐ दिले-बेकरार कोई आता है। यूं तड़प के न तड़पा मुझे बार-बार कोई आता है

: मोहब्बत से जुड़ी यादों की टीस का दर्द मर्मान्तक होता है, तकिए यूं ही नहीं भींग जाती थीं : बस, कोई अपने आप में भी अपने मनोभावों और टूटी स्मृतियों की याद में अपने दिल को सरेआम याद कर पाने का साहस नहीं कर पाता :  कुमार सौवीर लखनऊ : “धीरे-धीरे मचल,ऐ दिले-बेकरारकोई आता […]

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