बरसी झमाझम इंसानियत, और मैं नंगा-अवधूत
: आप ठहाके लगाते रहियेगा योगी देवनाथ जी। मैं बस पहुंच रहा हूं : मैं ही अनावृत्त औघड़, साक्षात नंगा अवधूत। मुझ में जो कुछ भी है, वह सब का सब नंगा : प्राणदायिनी गोमती-जल से ही आसपास के निवासी दाल चुरवाते हैं : जौनपुर एक बेमिसाल और अजीमुश्शान शहर है : कुमार सौवीर लखनऊ […]
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