मैं दान नहीं, तुम्हें,मोहब्बत के बंधन में बाँध रही हूँ

कन्‍यादान पर अशोक त्रिपाठी की कविता बांचिये ” कन्यादान “ जाओ , मैं नहीं मानती इसे , क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं , जिसको दान में दे दूँ ; मैं बांधती हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में , पति के साथ मिलकर निभाना तुम , मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रही , आज […]

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