तुम्‍हें न वकालत आती है, न मुंशीगिरी। जजी क्‍या करोगे: बोले वीरेंद्र भाटिया

: वकालत की दुनिया में अद्भुत शख्सियत थे वीरेंद्र भाटिया, लेकिन आखिरी वक्‍त में सब साथ छोड़ गये : दूसरों को जोड़ने और उनकी जरूरतों के चक्‍कर अपने ही लसोढ़ापन का शिकार बन गये वीरेंद्र भाटिया : बड़ा जिगर था रमेश पांडेय का। वे अपनी जरूरतों को भी बौना बना सकते थे : रमेश की […]

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