जोगी-न्‍याय: रामदेव को गुलदस्‍ता, अभिषेक को छीला बांस

सैड सांग

: प्रशासन और सरकार के चेहरे पर गहराता जा रहा है यूपी में जोगी-न्‍यायिक सिस्टम वाला कोहरा : रामदेव के फूड पार्क के लिए दे दिये गये 45 सौ एकड़ जमीन, अभिषेक गुप्‍ता से घूस मांगी गयी, शिकायत पर लखनऊ के कोतवाल ने एक झांपड़ में बिजनेस का बुखार उतार दिया :

मेरी बिटिया संवाददाता

नई दिल्‍ली : आइये आपको जरा दर्शन करा दें कि यूपी सरकार में जोगी-न्‍याय का प्रताप क्‍या है। क्‍या स्‍वर्णिम भविष्‍य है यूपी में उद्यमिता प्रोत्‍साहन को लेकर। किस तरह होता है निपटाया जाता है उद्योग से जुड़ी फाइलों को। किस घुड़की और निवेदन के बीच विश्‍लेषण किया जाता है सरकारी मशीनरी द्वारा। और किस तरह जोगी-सरकार एक धंधेबाज बाबा के इशारे पर शीर्षासन लगा देती है, जबकि एक निरीह व्‍यवसायी को सहूलियतें देने के बजाय जोगी सरकार के पुलिसवाले उसकी सेवा में बिना छीला बांस प्रस्‍तुत कर उसे किसी अज्ञात स्‍थान पर भेज देते हैं।

यहां आपकी जानकारी के लिए दो घटनाएं हैं, जिनका खुलासा नई दिल्‍ली के पत्रकार नवनीत मिश्र ने अपनी वाल पर छापा है।

पहला – बाबा रामदेव ने सिर्फ एक घुड़की दी और यूपी सरकार घुटनों पर आ गई। आज कैबिनेट ने सारे नियम कायदों को ठेंगा दिखाकर पतंजलि को नोएडा में जमीन पास कर दी। फूड पार्क के लिए पूरे 45 सौ एकड़ जमीन के मालिक बन गए बाबा। ध्यान दीजिए, कुछ ही दिन पहले शासन के अफसर कह रहे थे कि नियम इसकी इजाजत नहीं देते। मगर 15 दिन में वही नियम कैसे दुरुस्त हो गए, यह सरकारी मुलाजिम बता सकते हैं

दो – 26 साल का एक बेचारा बेरोजगार लड़का अभिषेक गुप्ता पेट्रोल पंप खोलने चला था, लिया था एक करोड़ का लोन, हर माह भरने पड़ रहे थे एक लाख रुपये ब्याज। उसे हरदोई में ग्राम समाज की जमीन अदला-बदली करनी थी। डीएम से लेकर राजस्व परिषद ने नियमानुसार फाइल पास कर पंचम तल भेज दी थी।

मगर प्रमुख सचिव फाइल दबाए बैठे रहे, बेचारे ने जरा सी आवाज निकाली तो सिस्टम ने न केवल हवालात की हवा खिला दी, बल्कि पागल भी करार दे दिया।

भला सोचिए, बाबा के कहने पर कई सौ एकड़ जमीन की फाइल चुटकियों में पास कर दी जा रही और एक युवा को सिर्फ आठ सौ वर्गमीटर की जमीन चाहिए थी।

मैं बाबा रामदेव की पतंजलि को जमीन देने का विरोध नहीं कर रहा हूं, अगर रोजगार की संभावना बनती है तो बेशक देना चाहिए। मगर, मेरा सवाल यह है कि चेहरा देखकर जमीन देना जाना चाहिए या नियम देखकर? अगर वह युवा पेट्रोल पंप खोलता तो उससे भी तो कुछ लोगों को रोजगार मिलता। उस युवा का गुनाह क्या था? सिर्फ यह कि वह रसूखदार नहीं था कि एक ट्वीट पर धमकी देकर जमीन हासिल कर सके।

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