आईएएस अनुराग था तो मस्‍त-मौला। मगर उस रात क्‍या हुआ ?

ज़िंदगी ओ ज़िंदगी

: नेपाल की तराई से सटे बहराच का एक जोशीला युवक था अनुराग तिवारी :  क्‍या वाकई कर्णाटक का कैडर मिलने से टूट चुका था अनुराग : जीवन की पगडंडियां ही बे-सुरी थीं, दाम्‍पत्‍य-जीवन में टूटन ने सड़ांध और बढ़ा दी : अनुराग की हत्‍या- एक :

कुमार सौवीर

लखनऊ : अनुराग तिवारी। नेपाल की तराई के बहराइच जिले का रहने वाला। बेहद कंजर्वेटिव मोहल्‍ले कानूनगो पुरा में पला-पढ़ा। अमे, कामे, चलिहौ, बुजरी जैसी शब्‍दावलियों में रचा-बसा और महराज सिंह इंटरकालेज जैसे बेहद परम्‍परागत विद्यालय से पास हुआ यह युवक मस्‍त-मौला तो था ही, लेकिन संजीदगी में भी बेमिसाल था। वह आम बहराइची लौंडे-लफाडि़यों की तरह सिगरेट भी पीता था, और अक्‍सर शराब की चुस्कियां भी। लेकिन पढ़ाई से उसका नाता सबसे ज्‍यादा था। यही वजह रही कि वह सन-07 में आईएएस की परीक्षा पास कर 27वें स्‍थान पर पहुंचा। लेकिन अचानक अभी तीन दिन पहले ही उसकी लाश लखनऊ के हजरतगंज में बरामद हुई।

किसी भी शख्‍स की मौत तो किसी सामान्‍य मौत की ही तरह ही होती है। जिसमें दुख, अपनत्‍व का विछोह होता है। लेकिन जब उसमें मृतक की आयु-अवस्‍था और परिस्थितियों का सम्‍मेलन हो जाता है, तो ऐसी मौतों में सवालों के घेरे बनने लगते हैं। और जितने भी घने-घनेरे घेरे बनते हैं, दुख, अचरज के बादल मंडराने लगते हैं।

अनुराग तिवारी के साथ भी यही सब हुआ।

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बड़ा बाबू

आईएएस पास कर उसे कर्णाटक कैडर मिला था। कहने की जरूरत नहीं कि यह नौकरी दुनिया की श्रेष्‍ठतम नौकरियों में से एक ही मानी जाती है। लेकिन अनुराग उससे ज्‍यादा प्रसन्‍न नहीं था। न जाने क्‍यों। लेकिन उसे जानने वालों का कहना था कि अनुराग तिवारी मूलत: महत्‍वाकांक्षी तो था, लेकिन अपने जड़ों-जमीन के आसपास ही अपने लिए सपने बोने में यकीन रखता था। उसके सपने यूपी या फिर उसके आसपास के राज्‍यों के आसपास की उर्वर जमीन खोजने चाहते थे, जहां उसकी सोंधी महक उसके नथुनों तक पहुंचती रहे, और उसके सपने पल्लतित-पुष्पित होते रहें। लेकिन कर्णाटक में उसकी नौकरी ने उसके संजोये सपनों को तोड़ दिया। उसके मनचाहे राज्‍यों में उसकी नौकरी मिल जाती तो वह अपने आप को खुशनसीब ही नहीं, बल्कि शाहंशाह ही समझता-मानता। लेकिन कर्णाटक में तो वह खुद को बड़ा बाबू ही बन कर रह गया। कर्णाटक में उसकी पटरी ठीक से नहीं सेट हो पायी।

उसके बाद दूसरी ठेस पहुंची उसके विवाह की। कानपुर के केनरा बैंक में अधिकारी युवती से उसका विवाह तो हुआ, लेकिन जल्‍दी ही उन दोनों को साफ पता चल गया कि उनकी राहों को जबरन एक-दूसरे के खांचे में फिट करने की कोशिशें की जा रही हैं। जल्‍दी ही जल्‍दी इन दोनों में दूरी बनने लगी। अनबन और झगड़ा-लड़ाई की शुरूआती डगर के आसपास ही इन दोनों ने एक दूसरे की पगडंडियों को हमेशा-हमेशा के लिए छोड़ देने का कानूनी फैसला कर लिया।

खैर,

इस मसले पर हम लोग बाद में बात करेंगे। फिलहाल तो यह देख लें कि आखिर अनुराग की मौत का मामला क्‍या है। हमारे पोर्टल मेरी बिटिया डॉट कॉम ने इस मसले पर लम्‍बी गहरी छानबीन करने का अभियान छेड़ने की कोशिश की है, जो अगले अंकों में प्रकाशित किया जाएगा। धारावाहिक। उसकी अगली कडि़यों को देखने के लिए निम्‍न लिंक पर क्लिक कीजिए:-

अनुराग तिवारी


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