: राजधानी के लब्ध-प्रतिष्ठ केकेवी कालेज की जमीन पर कब्जा वाले अपराधियों के खिलाफ मुकदमे सरकार ने वापस लिया : उप्र पिछड़ा वर्ग आयोग का सदस्य है अवैध कब्जादार अनिल यादव : कालेज के मकान पर कब्जा किया, फिर दीवार तोड़ कर दूकान खोल डाली अनिल यादव ने : कड़ी कार्रवाई के बजाय सरकार ने बाकायदा शासनादेश जारी कर अपराधियों को खुली छूट दे डाली :
कुमार सौवीर
लखनऊ : गजब कहानी है समाजवादी पार्टी में कथनी और करनी के बीच की। अभी पिछले पखवाड़े सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकर्ता सम्मेलन में सपाइयों की कस कर क्लास ली और कहा कि सपा के कई नेता अवैध कब्जा जैसी गैरकानूनी हरकतों में लिप्त है और उनकी ऐसी करतूतों के चलते सपा की छवि पर गहरी चोट पहुंच रही है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की नौवीं पुण्यतिथि के मौके पर आयोजित उस कार्यक्रम में मुलायम सिंह ने कहा था कि उन्हें ऐसी हरकतों की खूब खबर है। लेकिन हैरत की बात है कि जब मुलायम सिंह यादव जब यह हुंकार भर रहे थे, सपा की ही अखिलेश सरकार ने एक ख्यातिनाम कालेज की जमीन पर कब्जा करने वाले एक सपा नेता पर दायर मुकदमा वापस कर उसे छुट्टा घूमने का मौका दे दिया। अब वह सपा नेता और अभियुक्त खुलेआम कालेज पर तेज कब्जा में जुट गया है। जाहिर है कि जो जिला प्रशासन और पुलिस अधिकारी-कर्मचारी उससे पहले उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहे थे, अब उसके तलवे चाट रहे हैं। कालेज का सत्यानाश हो रहा है।
लखनऊ के केकेवी कालेज का नाम तो आपने सुना ही होगा। यह राजधानी का एक नामी कालेज है। चारबाग स्टेशन से सटा हुआ। विशाल परिसर है इसका। सबसे पुराने इसी कालेज पर अब अवैध कब्जे की काली छाया पड़ गयी है। यहां एक दबंग सपा नेता ने अवैध तरीके से कालेज के कई कर्मचारी आवासों पर न केवल कब्जा कर लिया है, बल्कि उसकी एक दीवार तोड़ कर उसमें सड़क की ओर एक बड़ी दूकान खोल डाली है।
यह कब्जा किया है अनिल यादव नामक के एक सपाई नेता ने। सपा सरकार ने अनिल यादव को उप्र पिछड़ा आयोग में सदस्य बना रखा है। फिलहाल अब अनिल यादव खुद को उप्र सरकार का मंत्री बताते हैं और अपनी गैरकानूनी हरकतों में लिप्त हैं। हाल ही जब कालेज प्रशासन ने कालेज परिसर में एक नये ऑडीटोरियम के निर्माण शुरू हुआ, तो इसी दबंग सपा नेता अनिल यादव ने उसमें पुलिस के बल में हस्तक्षेप किया और काम बन्द करा दिया।
इस मामले में कालेज प्रबंधन ने प्रशासन और पुलिस में अर्जी लगायी और एफआईआर दर्ज करायी थी। मामला कोर्ट पर पहुंचा, तो उस सपा नेता ने मारपीट कर ली। इसकी सूचना पर अपर नगर मैजिस्ट्रेट प्रथम विनोद कुमार ने अभियुक्तों को पचास हजार रूपयों का बॉड भरवा लिया और चेतावनी दी कि आइंदा ऐसी हरकत नहीं होनी चाहिए।
लेकिन इसके बाद तो अनिल यादव ने अपने सम्बन्धों के बल पर वह खेल शुरू किया कि कालेज अब हमेशा-हमेशा के लिए बर्बादी पर पहुंचने लगा। खबर है कि शासन ने इस मामले में हस्तक्षेप किया और बिना किसी पूछताछ के अनिल यादव के खिलाफ दर्ज मुकदमे को वापस लेने का आदेश जारी कर दिया। यह शासनादेश गृह विभाग के विशेष सचिव जेपी सिंह ने अनुभाग-पांच (फौजदारी) से जारी किया है।
मतलब यह कि अब कालेज में जो अवैध कब्जा अदालत में चल रहा था, उसे खत्म कर दिया गया है और उसमें अभियुक्त बनाये गये सारे लोग बाइज्जत रिहा हो गये हैं। लेकिन कालेज की ऐसी की तैसी जरूर की तैयारियां जरूर तय हो चुकी हैं। असली सवाल यह है कि फिर किस आधार पर मुलायम सिंह यादव ने अपने सपाइयों की अवैध कब्जा जैसी हरकतों पर ऐतराज जताया था।
क्यों? क्या केवल दिखाने के लिए ?