: 31 साल पहले भी श्रमायुक्त की अदालत में खींचा गया था सहारा-प्रबन्धन : श्रमायुक्त की कोर्ट में आनाकानी से गुस्साये कर्मचारियों ने सुब्रत राय के भाई जयब्रत को भरे दफ्तर में जमकर जूतों से कूटा था : साल भर से वेतन नहीं दिया गया, आवाज उठायी तो तबादला कर दिया :
कुमार सौवीर
लखनऊ : सहारा इंडिया के बिगड़े श्रमिक असंतोष की हालत अब खुद अपने ही इतिहास को दोहराने पर आमादा दिख रही है। 31 साल जैसा माहौल फिर भड़क रहा है सहारा में। कर्मचारियों का उत्पीड़न और उनके अधिकारों का दमन करने पर आमादा है सहारा इंडिया का प्रबंधन। साल भर से बिना वेतन के सपरिवार भूखमरी से बेहाल कर्मचारियों ने अब यूपी के श्रम आयुक्त के कार्यालय में गुहार लगायी, तो हंगामा खड़ा हो गया। खबर है कि श्रमिकों के दमन-उत्पीड़न की हालातों के बारे में श्रमायुक्त कार्यालय ने सहारा इंडिया के दूसरे दर्जे के आला हाकिम ओम प्रकाश श्रीवास्तव से जवाब-तलब कर लिया है।
आपको बता दें कि करीब 31 साल पहले भी सहारा इंडिया में एक जबर्दस्त श्रमिक असंतोष की लपटें भड़क गयी थीं। तब सहारा प्रबंधन ने अपने दो कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया था, और दर्जनों को देश के विभिन्न क्षेत्रों में तबादले पर भेज दिया था। हुआ यह कि सहारा के ही अखबार साप्ताहिक शान-ए-सहारा में कर्मचारियों ने अपनी बदहाली की आवाज उठायी थी। नतीजा, अखबार के प्रूफरीडर कुमार सौवीर और श्याम अंकुरम को सुब्रत राय ने बर्खास्त कर दिया था। इतना ही नहीं, कई कर्मचारियों को देश के सुदूर इलाकों में प्रताडि़त करने की मंशा से ट्रांसफर कर दिया था।
इस पर हंगामा हुआ, पहले धरना, फिर प्रदर्शन, और फिर गेटबंदी के बाद भी जब सुब्रत राय ने श्रमिकों की मांगें नहीं सुनीं, और श्रमिकों को धमकाने के लिए साप्ताहिक सहारा के प्रेस में पीएसी लगवा दिया था। सुब्रत राय के रवैये से आजिज आकर साप्ताहिक आखिरकार कर्मचारियों ने दफ्तर में घुस कर जयब्रत राय को जूतों से जमकर पीटा था। इसमें ओपी श्रीवास्तव समेत कई अधिकारी भी चोटिल हो गये थे।
गुस्साये कर्मचारियों ने सहारा प्रेस के सभी अधिकारियों को बंधक बना लिया था। लेकिन खुशी की बात यह रही कि कर्मचारियों की इस कवायद का नतीजा यह निकला कि सुब्रत राय ने तत्काल कुमार सौवीर और श्याम अंकुरम को नौकरी में वापस लिया और बाकी सारी कर्मचारियों पर हुई दमनात्मक कार्रवाईयों को खारिज कर दिया।
अब यही हालत 31 साल बाद भड़कती जा रही दिखती है। कई महीनों से बेहाल कर्मचारियों ने अब आरपार की लड़ाई छेड़ने का फैसला कर लिया है। सहारियन कामगार संघ ने सहारा प्रबंधन के रवैयों के खिलाफ श्रमायुक्त कार्यालय में दर्जनों शिकायत दर्ज करायीं। मगर कई नोटिसों के बावजूद जब सहारा प्रबंधन अपनी जिद पर अड़ा रहा, तो आखिरकार अपर श्रमायुक्त ने हस्तक्षेप किया और सीधे ओम प्रकाश श्रीवास्तव को ही तलब कर लिया है। ओपी श्रीवास्तव को 10 जनवरी के भीतर ही अपर श्रमायुक्त कार्यालय पर पहुंचने की नोटिस दी गयी है।