रामलीला के नाम पर भारतीय प्रतीकों-महापुरूषों का अपमान असह्य
आज दो मुद्दे हैं पहला आरुशी हत्याकांड … जो घिनौना था | इसे माता – पिता की परवरिश से नहीं देखा जाना चाहिए , न ही बात बात पर पाश्चात्य सभ्यता को गाली | इसकी मिस्ट्री अभी भी between tha line है |
दूसरा — आज मैं अभी राम-लीला देख कर आई | एक बाहियात फिल्म को पब्लिसिटी दिलाने का सबसे गन्दा तरीका | उसमें अगर राजस्थानी संगीत – नृत्य नहीं होता तो बैठना मुश्किल | कहानी के नाम पर शून्य | दीपिका पादुकोने अगर इतना अंग प्रदर्शन नहीं करतीं और सेक्स का प्रेम में इतना आक्रामक रूप न होता तो दर्शक क्या देखता ? पूरी फिल्म में भारतीय प्रतीकों और महापुरुषों के नाम से जो खिलवाड़ किया गया है वो बर्दाश्त के बहार | ………….. हिन्दुओं तुम अपनी व्यावसायिकता और लालच और सहूलियत के लिए तुम कितने गिर जाते हो ||| अगर कोई संजय लीला भंसाली को थप्पड़ मार सके तो मैं उसे सलाम करुँगी |….. रचनात्मकता के नाम पर नंगई…………. कुछ तो मुसलमानों के अच्छे गुण लेलो
Puneet Saxena : I feel u r rt and expressed well regarding both the topics and I have the same feeling as written by u
Sony Kishor Singh : रामलीला निश्चित रुप से एक महाबकवास फिल्म है….
Jyoti Khare : सटीक और खरी खरी
Bhupendra Chauhan : kaam to bhansali ne jute khane wala kiya hai.
डॉक्टर दीप्ति भारद्वाज की फेसबुक वाल से