अंत में बाबूजी ने माना कि मां सही थीं
बेटियों को पढाने लिखाने के सख्त विरोधी थे बाबूजी तब बच्चों का शादीब्याह निपटाना ही काम माना जाता था आखिर में एक सामंत ने भी औरत को सुपीरियर माना गंधिया बन गये देश को आजादी दिलाने वाले बापू मेरे बाबू स्व लाल साहेब सिंह, होते तो ८७ साल के हो गए होते लेकिन आज […]
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