तू वट-पूजक, मैं हूं रंडवा सनातनी। सजनी, अब आन मिलो

: पर्व नहीं वट-सावित्री, इसे मेरा आनंद-अनुष्ठान में तब्दील कर दो न : मैं नहीं डरता मुच्छड भैंसा का कलूटा यमराज : मेरा क्या? मैं आज न सही कल, अथवा दो-चार साल में ही टें बोल दूंगा। कहो तो अभी प्राण त्याग दूँ। : कुमार सौवीर लखनऊ : मुझे इससे कोई लेनादेना नहीं है कि […]

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