त्‍याग बनाम जाति: एक को पद्मश्री, दूसरे को ठेंगा

: सरयू में सामंजस्‍य, गोमती में उठापटक : फैजाबाद ने शरीफ को आंखों में बिठाया, जौनपुर ने कैलाशनाथ को पहचाना तक नहीं : कहीं जन-समर्थन के सामने साष्‍टांग किया प्रशासन ने, तो कहीं परस्‍पर झंझट का लाभ उठाया अफसरों ने : फैजाबाद अर्श तक पहुंच रहा, मिला पद्मश्री। जौनपुर फर्श से भी नीचे गहरे, मिला […]

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हमसे ही बेगारी और मजूरी भी ? : भाड़ में जाए तुम्‍हारा लेफ्टिज्‍म

: लेफ्टिज्‍म से राइटिज्‍म तक उछले आईबी सिंह की उछालें दुश्‍मनों की छाती फाड़ देती हैं : देवरिया में बसा है युद्ध-मजदूर बघेलों का इलाका, अब लखनऊ में एकाकी जीवन : ठाकुरपन और सफलता ने एटीट्यूड को परमानेंट बनाया, अब क्‍या खाक मुसलमां होंगे : लाखैरों ने पैसा भी वसूला और टाइम भी : कुमार […]

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पारसनाथ यादव : नाम व डीलडौल तो बड़ा, दिल बौना

: पूर्वांचल में जनता नहीं, सपा का स्‍तम्‍भ थे पारसनाथ : सामंती ठाकुरों की सत्‍ता को मिट्टी में मिलाने को मुलायम सिंह यादव का चमत्‍कार चला : यदु-क्षमता को अक्षौहिणी में तब्‍दील कर दिया : कुमार सौवीर जौनपुर : पारसनाथ यादव जितना बड़ा नाम था, उतना ही बड़ा कद और डील-डौल। लेकिन सच बात यही […]

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शोलों में सहारनपुर: भाजपाई आग में फुंक गया योगी-प्रशासन

: भगवा गमछा को लहराने की ख्‍वाहिशों को ध्‍वस्‍त कर दिया नीले गमछा ने, बवाली भीड़ ने अफसरों को दौड़ाया : सांप्रदायिक चिता की आग में भाजपाई सांसद ने उलीची जातीय राल : अब ठाकुर और दलितों की बीच छिड़ गया है जातीय विद्वेष : कुमार सौवीर सहारनपुर : ताजा खबरें यह है कि यहां […]

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का हो ठाकुर साहेब ! तुम लोग डींगे बहुत मारते हो न ?

: चाहे डॉ अजीत सिंह हत्‍याकांड हो या फिर रघुराज सिंह की छीछालेदर, दुम भीतर कर लेते हैं महान क्षत्रिय लोग : आज तक एक भी ऐसा काम नहीं किया है क्षत्रियों ने जिस पर वे गर्व कर सकें : बकवादी करने में अव्‍वल होते हैं यूपी के चेतक-सभा और क्षत्रिय-सभा के अदने से भी […]

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मधु मिश्र ने केवल इशारा किया, बाकी तो करते हैं मां-बहन

: यूपी भाजपा की घटिया राजनीति की राजदूत हैं मधु मिश्र : “इण्डिया न्यूज” चैनल की वार्ता में मैंने यही इंगित किया : आइये स्वागत कीजिए, ताकि ऐसी घटिया राजनीति का अंत हो सके : क्‍या ब्राह्मण, क्या ठाकुर, और क्या मुसलमान, इनडोर बैठकें बिना गालियों के नहीं होतीं : केवल बनिया ही ऐसा है, […]

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अंत में बाबूजी ने माना कि मां सही थीं

  बेटियों को पढाने लिखाने के सख्‍त विरोधी थे बाबूजी तब बच्‍चों का शादीब्‍याह निपटाना ही काम माना जाता था आखिर में एक सामंत ने भी औरत को सुपीरियर माना गंधिया बन गये देश को आजादी दिलाने वाले बापू मेरे बाबू स्व लाल साहेब सिंह, होते तो  ८७ साल के हो गए होते  लेकिन आज […]

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