अरे उल्‍लू के पट्ठों ! स्‍त्री तुम्‍हारा शौचालय नहीं है रे

: मानव के प्रजनन अंगों का वेद बुना है वात्‍सायन व कोका पंडित ने, उसकी भावुकता व संवेदनाओं की व्‍याख्‍या की है ओशो ने : ओशो यानी ओशनिक, अर्थात समुद्र की तरह गहरा, प्रशांत और रत्‍न-सागर : सहवास। अछूते सवालों पर चर्चा ओशो से पहले भगवान तक ने जरूरी नहीं समझा : स्‍त्री को नर्क […]

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गंभीर, चिंतित और प्रखर वक्ता भी करवा-चौथ पर पैर छुआने में गदगद

: स्‍त्री बनी हवन-सामग्री और पुरुष अपनी मर्दानगी मूंछें मरोडने में जुटा : करवा-चौथ तो बीत गया, अब उसके अर्थ और मर्म को समझिये : चलता रहा है, तो कोई बात नहीं। लेकिन अब तो उसे तर्क पर तौलिये : कुमार सौवीर लखनऊ : स्त्री के सशक्तिकरण व उसके व्यक्तिगतता के साथ उसके स्वतंत्र अस्तित्व […]

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महिला से अभद्रता पर पूर्वांचल डरपोक, पश्चिम में जूते चलते हैं,

: आंसू छलक पड़ेंगे संविदाकर्मियों का दर्द सुन कर : आरोप अनर्गल और क्षेत्राधिकार से परे, जांच के नाम पर शोषण भयावह : पैसा भी लेगें, औरत के बदन पर गिद्ध-दृष्टि भी : संविदा-तीन कुमार सौवीर लखनऊ : ( गतांक से आगे) दोलत्‍ती सूत्र बताते हैं कि इस मामले में पूर्वांचल का माहौल सबसे कुख्‍यात […]

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गुडि़या की पिटाई और घर में पीटी जाने वाली महिला की हैसियत

: नाग-पंचमी और स्‍त्री-विमुक्तिकरण : महा शिव-पर्व के अवसर पर भयावह परम्‍परा : यौन-उत्‍पीड़न और सम्‍पत्ति हड़पने की साजिशें, श्‍वसुर-देवर लूटते हैं धन और देह भी : कुमार सौवीर लखनऊ : नाग-पंचमी एक ऐसा सामाजिक-सह-आध्यात्मिक अवसर है जो मनुष्य में अन्य प्राणियों के साथ सह-अस्तित्व की भावनाएं प्रवाहित करता है। इसमें करुणा, दया, संवेदना, भावुकता, […]

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मोबाइल व कोराना अब अभिन्‍न हिस्‍सा बने हैं। एडजेस्‍ट करो

: बेटियों को समझाना होगा कि तुम कत्‍तई अपराधी नहीं हो : धोखा तो दूसरे ने दिया है, उसके जिम्‍मेदार तुम कैसी हो सकती हो : जिन्‍दगी बहुत बडी है, बहुत खूबसूरत है, और बहुत बची हुई है : यौवन-दो : कुमार सौवीर लखनऊ : एक और बच्‍ची है जो हवस के शैतानों की शिकार […]

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महिला दिवस: पुरुष माफ़ नहीं करते, औरत भूल नहीं पाती

: बहुत बवाली है मेडिकल साइंस। कहता है कि झंझटी है हारमोन : थोडा हम तुम्हारी तरह सोचें, कोशिश तो करो : ढलान दिल्‍ली : अमरीकी लेखक ..रॉबर्ट जॉर्डन लिखते हैं – “पुरुष भूल तो जाते हैं पर कभी माफ़ नहीं कर पाते – वहीँ महिलायें माफ़ तो कर देती हैं पर भूल नहीं पातीं” […]

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नवरात्रि: सजी-धजी देवी प्रतिमाएं नहीं, तेजाब से झुलसी देवियों को पूजने की हैसियत जुटाओ

: मर्दों की आपराधिक हरकतों का आजीवन खामियाजा भुगतती हैं नाजुक बालिकाएं : गोमतीनगर के जायका रेस्‍टोरेंट में आपको मिलेंगी जुझारू युवतियां, जिन्‍हें मर्दों ने तबाह करने से कोई कसर नहीं छोड़ी : कुमार सौवीर लखनऊ : गोमतीनगर में बने आम्‍बेदकर पार्क के ठीक सामने बना है एक निहायत शांत, खुला और बेहद सहज रेस्‍टोरेंट। […]

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नवरात्रि: निर्बल औरत को दबोचो, दबंग के सामने साष्‍टांग

: नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमस्‍तस्‍यै नमो नम:  : सपा सरकार ने तो सारी देवी-स्त्रियों-बच्चियों तक को बलात्‍कार की राह में भेजने की डगर प्रशस्‍त कर दी : आपकी अराध्‍य देवियों से बलात्‍कार होता है, लेकिन पूरा यूपी खामोश ही रहता है : कुमार सौवीर लखनऊ : जय माता दी, बलशाली मां तेरी जय हो, शेरां वाली […]

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पुरूष करे तो वाह-वाह, स्‍त्री देह प्रदर्शन करे तो आसमान फट जाए

: पुरूष की देह-यष्टि पर स्‍त्री समर्पित, जबकि स्‍त्री के प्रयासों पर खिल्‍ली उड़ाता है पुरूष : संवेदनशील विशेषज्ञ  बता रहे हैं स्‍त्री-पुरूष मानसिक हालत पुरूष के विद्रूप दर्प का असली धागा : हर हाल में औरत को दबोचने-कुचलने पर आमादा रहता है पुरूष : कुमार सौवीर लखनऊ : हर प्राणी ने अपने मजबूत करने […]

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देह में कोख का दंश: महिला त्रस्‍त, पुरूष मस्‍त

: कोख पर कोई कानून बनाने की बात केवल स्‍त्री के खाते में होनी चाहिए : बिना विवाह के शारीरिक सम्‍बन्‍ध बनाना महिला के लिए त्रासद, पर पुरूष के लिए बेफिक्र : अब जरूरी बात तो यह है कि कोख के साथ पुरूष के लिए भी कड़ा कानून बनाया जाए : त्रिभुवन उदयपुर : पुरुष […]

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और तुम औरत को केवल उसके स्‍तन और जांघों से आंकते हो। है न ?

: देह-यष्टि में ऊंचाई और गहराई से भी योजनों-कोसों आगे होती है महिला की आन्‍तरिक सुन्‍दरता : महिला को देखते ही सबसे पहले उसे सूक्ष्‍म एक्‍स-रे की तरह छानबीन करना शुरू कर देता है पुरूष : बहुत जरूरी है सोच में बदलाव लाना, लेकिन मंजिल अभी बहुत दूर है : डॉ राज दुलारी बोकारो : […]

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फेसबुक पर स्त्री

: तुमने नहीं सीखी अभी तक स्त्री साधने की कला ! : तुमने नहीं सीखी अभी तक : कुछ चिल्लाए-एक औरत की ये मजाल! : राजकुमार ने मैना के पंख नोच लिए, और कहा- उड़ो : रंजना जायसवाल स्त्री साधने की कला ! कुछ ने संस्कृति के लिए खतरा बताया कुछ के मुँह में भर […]

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