सुबह-ए-बनारस? बाबा जी का घण्‍टा

: सुबह-ए-बनारस से नहीं, काशी की पहचान सर्वविद्या की राजधानी, विश्‍वनाथ मंदिर, संकरी गलियों व घाटों से विख्‍यात है : गाइड की बकलोली में देशी-विदेशी चूतिया जजमान जेब खोलते हैं : नंगा अवधूत- दो: कुमार सौवीर बनारस : (नंगा अवधूत-एक से आगे) विदेशी पर्यटकों का प्रिय स्‍थल है वाराणसी। हालांकि उनमें से ज्‍यादातर तो सारनाथ […]

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बंगाल की विधवा ने शिव की काशी को सधवा बना दिया

और रानी भवानी ने शिव को आत्‍मसात कर लिया
हुक्‍म रानी भवानी का: कहीं कोई भूखा ना रहे
शैव और शाक्‍तों का झगडा तो सिरे से ही मिटा दिया
बंगाल से काशी तक अन्‍नपूर्णा बन गयीं रानी भवानी

सन 1776 का दौर भारत के लिए बेहद त्रासद रहा। बंगाल से लेकर उत्‍तर भारत तक के एक बडे इलाके में दुर्भिक्षु अचानक एक महामारी की तरह आ गया। पहले तो राजनीतिक अराजकता और अन्‍याय से जूझ रही जनता को यह अकाल बेहद भारी पडा। बडे पैमाने पर लोग भूख से मरने लगे। कि अचानक ही दिल्‍ली और बंगाल की बडी सत्‍ता की चुप्‍पी के खिलाफ एक महिला ने बिगुल बजाया और अपने खजाने का दरवाजा खोल दिया। हुक्‍म दिया कि राज्‍य में कोई भी मौत अब भूख से नहीं होनी चाहिए। और इसके बाद से ही भारतीय इतिहास की इस महिला को जन-सामान्‍य ने साक्षात अन्‍नपूर्णा का ओहदा दे दिया।

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