सिर्फ पांच फीसदी मुसलमान ही जानते हैं इस्लाम का मतलब

: श्रमजीवी ट्रेन हादसे में घायलों को बचाने में गुरैनी के छात्रों की भूमिका बेमिसाल : यह तो देखिये कि रंग पड़ा या डाला गया : खुशी को खुशी और गम को गम की तरह मनाइये : गैर-इस्‍लामी है ईदगाह में शादीघर, गुरैनी मदरसा के नायब नाजिम मौलाना अबू बकर से बातचीत : सरकारी लापरवाही […]

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आरआर-21 और के-67 जानते हैं? फिर होली का क्‍या मतलब

: कहां हैं राजा राममोहन राय और लार्ड विलियम बेंटिक, दो सौ साल तक हर बार फूंकी जा रही है होलिका : वे क्‍या जानेंगे जिन्‍होंने बंगाल का भयावह दुर्भिक्षु देखा-सुना : शहरों का पेट भर गया, तो कृषि गायब और कपोल-कल्‍पनाएं जुड़ने लगीं : अब किसान नहीं, बेईमान लोग इनकम-टैक्‍स बचाने के लिए किसान […]

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कोरोना से बतियाओ बलम, जरा पास खांसो

: होली पर एक नया रंग उलीचना शुरू किया कुमार सौवीर ने : जमाना पूछ रहा है कि इस मेकअप कैसी हूं मैं :  कुमार सौवीर लखनऊ : जमाने पर फेंक दिया फेंचकुर। बलम, जरा पास खांसो। कोरोना से बतियाओ बलम, जरा पास खांसो। मेरे चना जोर गरम बलम, जरा पास खांसो। बोल कबीरा सारा […]

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जब प्रेमिका ने लगायी गुहार:- अरे बच्चों! इधर आओ। प्रणाम करो, ये तुम्हारे मामा हैं

किस्सा बकलोल, प्रदीप, किसानी, प्रेमिका से लेकर मामा और दारू तक का कबीरा सारा रारा रारा रारा रारा। बुरा न मानो, होली है कुमार सौवीर लखनऊ : बकलोल तो आप समझते ही होंगे। है ना? अरे बकलोल का मतलब निरा मूर्ख, चू‍तिया, मंद-बुद्धि, कालिदास का प्राथमिक छात्र आदि-इत्यादि होता है। ऐसे लोगों को तो आप अपने […]

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दुबली मां और दयाराम का नौंवा बच्चा

कहां खो गया मेरा गांव: 15 साल बाद गांव में मेरी होली : अपने भतारे के मउसी हो, पंचगोइठी द..
: बउरइलू छिनार बउरइलू छिनार, बाबा दुअरवा का गइलू….. : सलीम बहू जब अइलिन गवनवा पतरे पीढ़ा नहायं… :

करीब 15 साल बाद होली पर गांव गया था। वजह सिर्फ व्यस्तता ही नहीं रही, जहां रहा, वहां ये रंगीन त्योहार साथियों के साथ मनाने का भी अपना लुत्फ था।

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होली में नंगी होती काशी की आधी आबादी

बनारसी की मस्‍ती महिलाओं के कानों में उडेलती है पिघला सीसा विदेशी महिलाओं के साथ मस्‍ती, घर की महिलाओं पर पाबंदी कई दिनों तक सडक पर लोगों की घूरतीं निगाहों से खुद को बचाती हैं औरतें छुट्टा सांड की तरह बस कामांध दौडते रहते हैं बनारस  में बेशर्म होरियार वाराणसी सत्तर के दशक में बनारस […]

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