हिजड़ों ने अपना गुरू मान लिया कुमार सौवीर को

: बिटिया के जन्‍म पर हिजड़ों ने बाजी लगायी, झूम कर नाचे और थिरके भी : नेग में सिर्फ एक रुपया लिया। वह भी बिटिया पर न्‍यौछावर कर दिया : उसके बाद से ही इन हिजड़ों की टोली हमारे घर नहीं आयी : कुमार सौवीर लखनऊ : यह बात 12 मार्च-89 की है। अलीगंज के […]

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उसके बाद हिजड़ों की टोली हमारे घर कभी न आयी

: हिजड़ों से साफ कहा कि पांच सौ से ज्‍यादा नहीं : लल्‍ला के मां-बाप से 11 हजार से कम नहीं लेंगे हम : हिजड़ा हैं हम, अपनी बेटी के जन्‍म का नेग लेने का घोर अपराध हम न करेंगे : हिजड़ों ने गुरू मान लिया कुमार सौवीर को : कुमार सौवीर लखनऊ : ( […]

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बहेलिया के तीर की प्रतीक्षा में हूं। आज मेरा बर्थडे है

: जिस कृष्‍ण को आप गरियाता हैं, वही आपको दु:शासनों से बचाता है : आज का कृष्‍ण बांसुरी नहीं, माउथ-आर्गन बजाता है : चोली-दामन नहीं, जांघिया-पेटीकोट सम्‍भालने की कोशिश कीजिए : कुमार सौवीर लखनऊ : केक, मालपुआ, मिठाई और दीगर सुस्‍वादु भोज्‍य पदार्थ तो दूर की बात है, मेरे जन्म को लेकर न जाने कितने […]

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फखरे का नाम सुनते ही हिजड़ा फफक कर रो पड़ा

: सिर्फ हिजड़ा नहीं, बल्कि एक दिव्‍य-व्‍यक्ति थे फखरे आलम : क्‍या कोई ऐसा शख्‍स है जिसकी मौत के 20 बरस बाद भी उसके साथी इस तरह याद करते हों : कुमार सौवीर लखनऊ : ( गतांक से आगे ) लेकिन फखरे आलम के घर अक्‍सर गाने-बजाने का ही कार्यक्रम चलता था। जिसमें हम लोग […]

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काश ! दुनिया में फखरे जैसे हिजड़ों की सरकार बने

: गजब शख्सियत थी लखनवी फखरे चच्‍चा की : लोगों डरते थे कि उनके बच्‍चों को हिजड़ा न बना दे फखरे : हम जिज्ञासु थे कि हिजड़ों की दबी-छिपी हरकतें क्‍या होती हैं :  कुमार सौवीर लखनऊ : फखरे चच्‍चा, यानी फखरे आलम पूरी दुनिया का ठेका लिये रहते थे, हालांकि उनकी दुनिया कोई खास […]

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हिजड़ा गुलाम मलिक सरवर, पर था बेहद बहादुर और ईमानदार

: हिजड़ा पर खूबसूरत की छौंक अगर ईमानदारी से हो, तो बेमिसाल : गुलाम ने शर्की सल्तनत खड़ी की, तुमने तबाह कर डाला विश्वास : सिर्फ जुल्फी से नहीं चलता है शासन, बड़ी बात होती है ईमानदारी : हिजड़ा गुलाम की बात छोड़ो, तुम क्या  कर रहे हो जौनपुर वालों : तब राग-जौनपुर बना, आज […]

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