न जाने कहां छिपे-दुबके रहे “श्वान-श्रृगाल”

: न आजतक का अकेला आया, और न पशुवत पशुपतिनाथ : वार्तालाप आमंत्रण हेतु कई संदिग्ध फोन आये : मैंने अपनी जगह आमंत्रित किया, उनके यहां नहीं : कुमार सौवीर लखनऊ : पिछले तीन दिनों से बलिया में हूँ। बंसी-बांसुरी बजाते इधर-उधर भ्रमण कर रहा हूं। लेकिन पत्रकारिता की एक भी “विष-कन्या” मेरे सामने नहीं […]

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दो हफ्ते बाद जय पर मुकदमा, कानून ठेंगे पर

: विकास दुबे कांड, हाथ पर हाथ रखे बैठा रहा कानून : पहले छोड़ा, फिर दबोचा, फिर इनकम टैक्‍स के हवाले किया, अब जेल की तैयारी : दोलत्‍ती संवाददाता कानपुर : आखिरकार 15 दिनों बाद पुलिस ने जय बाजपेई का चालान कई धाराओं में कर ही डाला है। उस पर हत्‍या और षडयंत्र रचने की […]

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विकास दुबे एनकाउंटर: एक वो अफसर थे, एक यह हैं

: साफ मामला है एनकाउंटर का, मगर भारी-भरकम आयोग बना डाला : नाकाबिल अफसर क़ानून हाथ में लेता : आज प्रशासन ने अपनी इज़्ज़त खो दी, भय भी : देवेंद्र नाथ दुबे लखनऊ : विकास दुबे के तथाकथित इनकाउण्टर पर उठी बहस के दौरान मेरे दिमाग़ में सेवाकाल के कई अनुभव घूम गए जिनमें से […]

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यही “मर्द पुलिस” विकास दुबे के खिलाफ गवाही से मुकर गयी थी

: सन-01 में थाने में मंत्री की हत्‍या के 19 गवाहों में से एक भी पुलिसवाला जाबांज नहीं निकला : आज यूपी पुलिस का सीना चौड़ा हो गया विकास दुबे का मकान ढहाने में : पूरा खानदान बेघर है, सारी गाडि़यां रौंद डाली गयीं : दोलत्‍ती संवाददाता लखनऊ : कानपुर में आठ पुलिसवालों की पैशाचिक […]

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नीला नहीं, “ब्रजेश संग विकास” की फोटो भगवा-काल की है

: बाल, चश्‍मा और सदरी के साथ शक्‍ल-ओ-सूरत मंत्री बनने की है : पत्रकार अब खुली दलाली पर आमादा, ब्रजेश पाठक पर सामवेद का गायन स्‍टार्ट : नेता-अपराधी गठजोड़ का मामला इतना भोला भी नहीं : कुमार सौवीर लखनऊ : पत्रकार का नव-धंधा भी बड़ा करिश्‍माई बनता जा रहा है। विकास दूबे की दरिंदगी का […]

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इस बेटी को इंसाफ चाहिए, अपने बाप के हत्‍यारों को सजा दिलाने को कमर कस लिया उसने

: खुलेआम घूम रहे हत्यारोपी, पीड़ित कुनबे पर मंडरा रहा खतरा : भाजपा के स्‍थानीय नेताओं का प्रश्रय होने के चलते खामोश है पुलिस : हरिश्याम बाजपेयी और लवी खान हरदोई : हरपालपुर थानाक्षेत्र के निवासी रामू तिवारी हत्याकांड में पुलिस की उदासीनता से पीड़ित परिवार को आज एक माह गुजर जाने के बाद भी […]

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ढाका हादसा पर मुझे रोने दो मेरे दोस्‍त, अब इस्‍लाम की नीतियां मत समझाओ

: हो सकता है कि इस्‍लाम दुनिया का सर्वश्रेष्‍ठ धर्म हो, लेकिन आज मुझे नहीं लगता : हम से अलग दीखने के चक्‍कर में तुमने अपना हुलिया क्‍या बना डाला, तुम्‍हें कुछ पता भी है : शान्ति-दूत कहलाने वाले लोगों के हाथ में शैतानी छुरे-बंदूकें कैसे आयीं, मुझे बताओ : तुमसे तो बेहतर अमरीका और […]

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