लसोढ़ा चखे पतंगबाजी क्‍या खाक समझोगे ?

: रामपुर और बरेली में भी होती है पतंगबाजी, लेकिन जमघट सिर्फ लखनऊ में : मुझे तमीज की लीक पर लाने के लिए पापा ने लगाया था लसोढ़ा : झगड़े में भी सम्‍मान से बात करना भी लखनवी लसोढ़ा-पन ही तो है : लखनवी तमीज में जो लोग बचे हैं, लसोढ़ा का ही असल कमाल […]

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का हाल बा बुजरौ के, कइसन हव्‍वा रजा बनारस ?

: पादने के लिए दायें-बायें अर्द्ध-गोला को हल्‍का उचकाना खांटी बनारसी स्‍टाइल है : चाहे कुछ भी हो जाए लेकिन मां, बहन या बेटी की गाली बनारस में वर्जित है : नंगा अवधूत-एक : कुमार सौवीर वाराणसी : बनारसी में सांड़ को लखनऊ का चिकन माना जाता है। जी हां, बनारस का रस ही कुछ […]

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मथुरा छूट गया, पर गोपियों की तरह छटपटाता है यह “पंडा”

: याद आता है मंदिर, बंदर, घाट, गलियां, बेबाक भाषा, गालियां और बिंदास औरतें : जगदीश्‍वर चतुर्वेदी बेहाल है कोरोना के सन्नाटे के बीच मथुरा की खोज में : जगदीश्‍वर चतुर्वेदी कोलकाता : इन दिनों कोरोना के कारण मथुरा ध्वस्त पड़ा है। मंदिर, बाजार, प्रोहित सभी तबाह पड़े हैं।इस मथुरा की कल्पना कभी नहीं की […]

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ये चीनी बाईजी तो हिन्‍दी में गंदी गालियां देती है

: बोली कि गांड़ में दम नहीं, हम किसी से कम नहीं : आईटी-सेल ने शुरू कर दिया भारत के पक्ष में चीनी-क्‍लोन : इसके पहले ममता बनर्जी का भी क्‍लोन बना चुका है भाजपा का आईटी-सेल : कुमार सौवीर लखनऊ : यह हमारी श्रेष्‍ठता है या फिर हमारी जाहिलियत, कि हमअपनी मातृभाषा हिन्‍दी को […]

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राम नहीं, रामत्‍व खोजिए

: आर्थिक चकाचौंध की रौशनी में राम नाम को हम बेच देते हैं, जबकि रामत्‍व को अंधेरों में खोजते हैं :  हमारे आग्रह-दुराग्रह, जो हमें रामत्‍व से दूर कर देते हैं : रामनवमी के दिन कन्‍याओं का चरण पखारो, लेकिन किसी को मां-बहन की गालियां देने से परहेज भी करो : कुमार सौवीर लखनऊ : […]

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इंडिया-टीवी ने अश्‍लील गालियों की मंडी में औरतों से चुनावी चर्चा का स्‍वांग रचा

: काशी के ढाबों में औरतें चुनावी बहस नहीं करतीं : सड़कछाप गालियों की होल-सोल से लेकर फुटकर बिक्री का सबसे बड़ी मंडी है काशी की अस्‍सी : बनारस के लतिहड़ों का अड्डा है पप्‍पू का होटल : कुमार सौवीर वाराणसी : इस चुनाव ने साबित कर दिया कि मोक्ष दिलाने वाली काशी में उबलते […]

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हां तो बच्‍चों, यह बताओ कि गाली कितने प्रकार की होती हैं

: उत्‍तर प्रदेश को अब गाली प्रदेश में तब्‍दील कर दिया जाना चाहिए : अखिलेश यादव को चाहिए कि वे यूपी में गाली शोध संस्‍थान खोल दें, अध्‍यक्ष हों शिवपाल सिंह यादव : उर्दू गाली का जिम्‍मा आजम खान को सौंपा जाना चाहिए : महिला गाली सामाख्‍या की डोर मेनका को थमाइये : लखनऊ : […]

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अखिलेश के विकास-चार्ट पर मंत्री की गालियां, मां-बहन की गालियां देते हैं मंत्री

: अम्‍बेदकर नगर के एक दारोगा को तबादला की नहीं, उसकी मां के साथ दुष्‍कर्म की धमकी दी मंत्री : मंत्री की गालियों पर बिफर गया दारोगा, बोला नहीं करूंगा तुम्‍हारी चाकरी : शाहजहांपुर के जाबांज पत्रकार जागेंद्र सिंह को जिन्‍दा फूंकने की साजिश में मुख्‍य अभियुक्‍त हैं राममूर्ति वर्मा : कुमार सौवीर लखनऊ : […]

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1090 हेल्पलाइन जिन्दाबाद, महिला की मां-बहन किया थाने में एसओ ने

: सवाल यह है कि अगर सरकारी ऐलान की यह हालत है तो फिर सरकार कहां है : एक थाना प्रभारी जब थाने में महिला से ऐसी गालियां दे सकता है, तो फिर सरकार कहां है : जब एक महिला को आने-जाने का रास्ता देने पर पुलिस प्रताड़ना मिल रही है तो फिर सरकार कहां […]

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जिनसे गलबहियां, उसी को गाली देते हो “बाबू” जी?

: आईएएस अफसरों का कमाल, जिनसे काम लेना है उन्हें गाली मानते हैं : कलेक्ट्रेट में जितने भी बाबू होते हैं, वे सब मुंहलगे होते हैं डीएम के : सारा अण्डर-करण्ट बाबू से संचालित होता है, बाबू के बिना नामुमकिन : लो देख लो, बड़े बाबुओं की करतूतें- ग्यारह : कुमार सौवीर लखनऊ : हिन्दुस्तान […]

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आप ईमानदार अफसर हैं, तो पहले बेईमान “बाबुओं” को नंगा कीजिए

: ओके मिस्टर सिविल सर्वेंट, बताओ कि कौन-कौन बेईमान हैं तुम्हारी सेवाओं में : आकण्ठ  बदनामी के बावजूद सम्मान की गुहार केवल आईएएस में ही मुमकिन : तुम्हें अधीनस्थों को बाबू-नुमा गाली पर ऐतराज है, लेकिन अपनों की करतूतें तो देखो : हैरत कि खुद को बचाने की कवायद में दूसरों को गरियाते हैं आला […]

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मधु मिश्र ने केवल इशारा किया, बाकी तो करते हैं मां-बहन

: यूपी भाजपा की घटिया राजनीति की राजदूत हैं मधु मिश्र : “इण्डिया न्यूज” चैनल की वार्ता में मैंने यही इंगित किया : आइये स्वागत कीजिए, ताकि ऐसी घटिया राजनीति का अंत हो सके : क्‍या ब्राह्मण, क्या ठाकुर, और क्या मुसलमान, इनडोर बैठकें बिना गालियों के नहीं होतीं : केवल बनिया ही ऐसा है, […]

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सावन की घटाएं: काशी के कपड़े फट सकते हैं, अन्तर्मन नहीं

: सावन का मेघ बरसने लगा मोक्ष-नगर काशी में : मुतनी के, बुजरौ के, चश्ममुतनी। दिखी कोई अश्‍लीलता ? : सच कहूं तो विलक्षण है बनारस, गालियां अदभुत : अजब जगह, गजब लोग। नायाब लहजा, बेमिसाल अंदाज : कुमार सौवीर वाराणसी : चाहे वह सन-77 और सन-89 का दंगा रहा हो, मराठी समुदाय का गणेश-विसर्जन […]

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