घन घमंड गरजत चहुं ओरा: जेल में ठूंसे गये पत्रकार जुबैर

: हृषिकेश मुखर्जी अगर जिन्‍दा होते, तो दिल्‍ली पुलिस उनको भी गर्दनिया देकर जेल में सड़ा डालती : आकाश में बादलों की गर्जना से मन डरने लग जाय तो क्या सोचें कि त्रेता है या कलयुग : पत्रकार-जगत में तेजी से काले बादलों को छांटने के लिए जनार्दन यादव का यह लेख वाकई आंख खोलने […]

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साधना मेरी नहीं, मेरे पिता जी के वक़्त की दिलकश हीरोइन थीं

: मुड़ मुड़ के न देख मुड़ मुड़ के…और साधना हिट हो गईं : फोड़े की पीड़ा से थिरकते होंठों को युवकों ने मोनालिसा जैसी रहस्यमयी मुस्कान मान लिया : 45 साल तक साधना, फिर मौत। दर्द को नया नशीला अंदाज़ दे दिया था साधना ने : कुमार सौवीर लखनऊ : नहीं, नहीं। साधना मेरी […]

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धीरे-धीरे मचल ऐ दिले-बेकरार कोई आता है। यूं तड़प के न तड़पा मुझे बार-बार कोई आता है

: मोहब्बत से जुड़ी यादों की टीस का दर्द मर्मान्तक होता है, तकिए यूं ही नहीं भींग जाती थीं : बस, कोई अपने आप में भी अपने मनोभावों और टूटी स्मृतियों की याद में अपने दिल को सरेआम याद कर पाने का साहस नहीं कर पाता :  कुमार सौवीर लखनऊ : “धीरे-धीरे मचल,ऐ दिले-बेकरारकोई आता […]

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सफलता तो छलिया है। आज मेरी, कल किसी और की

: मशहूर फिल्‍म अभिनेत्री ने विख्‍यात पत्रकार त्रिलोक दीप को बताया : फिल्‍म इंडस्‍टी में हरेक की अपनी जगह है, कोई किसी की जगह नहीं लेता : मेरा साया, आरज़ू, मेरे महबूब, वक़्त, असली नकली, वह कौन थी जैसी फिल्‍में यादगार हैं : त्रिलोक दीप नई दिल्‍ली : एक दिन आकस्मिक किसी का फोन आया […]

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साधना मेरी नहीं, पापा के सपनों की रानियों में से थीं

: दर्द को नया नशीला अंदाज़ दे दिया था साधना ने :  फिल्‍म की साधना: 45 साल तक साधना, फिर मौत : मैं साधना को बहुत प्यार करता रहा। जैसे अपनी माँ को प्यार करता हूँ : कुमार सौवीर लखनऊ : नहीं, नहीं। साधना मेरी नहीं, मेरे पापा के वक़्त की दिलकश हीरोइन थीं। उन […]

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… क्‍योंकि पत्रकार कभी आत्‍महत्‍या नहीं करता

: अभिनेता और पत्रकार के गुणों में दायित्‍व, जुझारूपन, संवेदना और लक्ष्‍य समर्पण : पत्रकार में सामाजिक दायित्‍व एक बड़ा पहरुआ : धोनी की जरूरत है, या फिर सिर्फ धोनी का अभिनय करने वाले सुशांत सिंह राजपूत की : कुमार सौवीर लखनऊ : अभिनेता और पत्रकार में एक मूलभूत समानता होती है। कार्य-दायित्‍व बोध, जुझारूपन, […]

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16 लाख में एक भी न था, जो सुशांत को समझता

: सुशांत सिंह स्‍मृति-शेष : जीवन के ऑर्गेज्‍म का सुख शायद ही किसी को मिल पाये : सेक्स, कुंठाओं के दौर में यदि प्रेम-पगा सखा है तो वह भाग्यशाली : ज़िन्दगी को चाहिए एक दोस्त जो रूह की कराह को सुन ले : त्रिभुवन उदयपुर : अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत ने तीन जून को माँ […]

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बरेली का झुमका जान-मारू होता है, गिर जाना ही बेहतर

: झुमके की तो सदा यह फितरत रही है कि उसे कही ना कही तो गिरना ही पड़ता है : साधना जी का झुमका भी अगर बरेली मे ना गिरता तो मुंबई मे गिर जाता : किस्सा-ए-झुमका, दास्तान-ए-बरेली : भारद्वाज अर्चिता बरेली : मकरंद भर ने बसाया था बरेली शहर ।  रोहिल्लाओ का राज रहा।  […]

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जिन्‍दगी के हर मोड़ पर थप्‍पड़ मारती है फिल्‍म “थप्‍पड़”

: फिल्‍म देखिये, इसके पहले कि थप्‍पड़ गाल पर आने की नौबत पहुंचे : थप्‍पड़ क्रिया में मारने, देखने, सुनने, महसूस, दर्द को समझने और टीस को अंतर्मन तक घुलते हुए भोगने वालों की प्रतिक्रियाएं अलग-अलग : कुमार सौवीर लखनऊ : थप्‍पड़। हर शख्‍स को थप्‍पड़ खाने पर बहुत नाराज नहीं होना चाहिए। बल्कि उसे […]

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इक नारा उठा है जयपुर से, मैं भी रंडी हूं

: राजस्‍थान की अनुपमा तिवारी ने एक अनोखा आंदोलन छेड़ दिया : महिलाओं पर बढ़ते हमलों और उन पर फेंकी जा रही गालियों के खिलाफ जंग : रण-डी यानी रंडी, जो रण को जीत ले : कुमार सौवीर  जयपुर : भगवा-ब्रिगेड की करतूतों और उनकी ओर से महिलाओं पर उलीची जा रही गालियों के खिलाफ […]

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छपाक: आखिर कौन है नदीम खान?

: फिल्‍म निर्माताओं का दावा कि छपाक में नदीम को राजेश नहीं बनाया : दिल्ली के खान मार्केट नदीम ने लक्ष्मी पर एसिड फेंका था : दोलत्‍ती संवाददाता नई दिल्‍ली : तेजाब की झुलसा डालने वाली कहानी को लेकर दीपिका पादकोणे की फिल्‍म छपाक की गूंज इस वक्‍त पूरे देश में है। उनके भी दिल-दिमाग […]

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छपाक: बाबुल सुप्रियो ने बाबुल-नाम की नाक कटवा ली

: बकलोल साबित हो गये तुर्रम खां भाजपा सांसद सुब्रह्मण्‍यम स्‍वामी : बिना जाने समझे ही ट्वीट किया कि धर्म से खिलवाड़ किया गया छपाक में, नोटिस देंगे : दोलत्‍ती संवाददाता नई दिल्‍ली : बाबुल का मतलब होता है पिता। एक ऐसा पिता जो अपनी बेटी की शादी की तैयारी में जुटा है, और बेटी […]

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बेदाग है छपाक, झूठ है छपाक में धर्म का झगड़ा

: दीपिका पादुकोण के विरोध में क्यों ट्रेंड कर रहा है ‘राजेश’? फिल्‍म निर्माताओं ने आरोपों को खारिज किया : दोलत्‍ती संवाददाता मुम्‍बई : फिल्म छपाक में एसिट अटैक का असर अब सोशल मीडिया को भी झुलसाने लगा है। सच का चेहरा अब फर्जी सोशल ट्रेंड के चलते बदरंग करने की साजिशें चल रही हैं। […]

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साहसी दीपिका, मुझे साहसी लड़कियाँ पसंद हैं

: दीपिका जानती है कि इस साहस से वह अपने कट्टर प्रशंसक खो भी सकती है : ये कविता नहीं, स्‍क्रिप्‍ट है जो मैंने पिछले साल लिखी : गीताश्री नई दिल्‍ली : एक न्यूज़ चैनल के लिए लिखा था, तब जब “छपाक” फ़िल्म का पोस्टर ही रिलीज़ हुआ था. पोस्टर पर दीपिका का गेट-अप देखकर […]

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तुमने मेरी जिन्दगी को एक मानी दिया, नहीं तो क्या था इसमें

: फ़ारुख शेख को लखनऊ आज भी याद करता है : देख लो आज हमको जी भरके :  डॉ योगेश प्रवीन और प्रो शशि शर्मा  लखनऊ व नई दिल्‍ली : कल फारूख शेख की पुण्‍यतिथि थी। फारूख यानी एक दिग्‍गज शख्सियत। केवल फिल्‍म ही नहीं, बल्कि अपने यार-दोस्‍तों और समाज के लिए भी एक बेहतरीन […]

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