जातीय उन्‍माद नहीं, निष्‍ठा पर जिंदा है पत्रकारिता: कमर वहीद नकवी

: आनंद स्‍वरूप वर्मा के अनुसार हिन्‍दी पत्रकारिता ब्राह्मणों नहीं, योद्धाओं के बल पर जिन्‍दा : अयोध्‍या ही नहीं, फैजाबाद के कमरे में एक-एक गुम्‍बद पर तीन-तीन पत्रकार चढ़े थे : संपादक से महाप्रबंधक तक का सफर राघवेंद्र चढ्ढा ने : एक राष्‍ट्रीय अंग्रेजी के कट्टर हिंदूवादी ब्‍यूरो चीफ अपने दामाद के भाई को एक […]

आगे पढ़ें

लल्‍लनटॉप का चढ्ढी में पत्रकारिता करना स्‍टार्ट

: प्रमुख डिस्‍कशन में भारत को 99 साल का लीज बताया गया अंग्रेजों को : आईटी-यूनिवर्सिटी से जारी वाट्सऐप सूचनाएं युवाओं से लेकर बुड्ढों तक में दिमाग में बिगाड़ चुकी : युवती बोली कि तब के नेता अगर झूठ न बोलते तो भारत हमेशा बरकरार रहता : युवती चिल्‍लाती रही, लेकिन लल्‍लनटॉप वाले केवल मजा […]

आगे पढ़ें

कोरोना कर्फ्यू: पिछवाड़ा सेफ चाहिए ? लो ये दोलत्ती-चड्ढी

: सूनी रोड पर पुलिसवाले करते हैं रक्तिम-पीटीओ की रस्म : वानरी-उछलकूद का जिम्मा जातक का, पुलिसवाले कोहबर में साली-सलहजों की तरह : कुमार सौवीर लखनऊ : “सावधानी हटी, दुर्घटना घटी”। यह तो समाज के विभिन्न क्षेत्र ही नहीं, बल्कि खासकर यातायात के संदर्भ में एक सर्वमान्य मंत्र है। कहने की जरूरत नहीं है, कि […]

आगे पढ़ें