यहूदी, ईसाई व कई अफ्रीकी जातियों में प्रचलित था खतना, अब सिर्फ इस्लाम में
: शोध के मामले में भारत बेहतर है, पथरी और मसाना के कैंसर पर शोध चाहिए : पाक-भारत का जींस एक है, एकजुट होकर समस्साओं का निदान खोजिए : अक्सर जौनपुर आकर मरीज भी देख जाते हैं डॉ रिजवी :
कुमार सौवीर
वाराणसी : डॉक्टर रिजवी धर्म और कर्म को अलग-अलग रखते हैं। इसीलिए सवालों के जवाब में बिलकुल बेबाकी के साथ बताते हैं कि इस्लाम समेत कई समुदायों में शिशुओं में कराया जाना खतना मूत्र-रोगों की रोकथाम का विकल्प या समाधान-इलाज नहीं। उनका कहना है कि यह पूरी तरह एक धार्मिक कृत्य है, और केवल इसलिए मैं इसे डाक्टरी निदान-उपचार से जोड़ कर कोई सिद्धांत में कैसे बदल दूं? वे बताते हैं कि ज्रूस्थ, र्ईसाई, कई अफ्रीकी जातियों के साथ ही इस्लाम में भी पहले खतना खूब प्रचलित था। लेकिन अब यह केवल इस्लाम तक ही सीमित हो कर रह गया है। डॉक्टर रिजवी बताते हैं कि खतना या शिश्नव पर चढ़ी चमड़ी को ऑपरेट करने हटाने की प्रथा के बारे में लोगों का ख्याल है कि इससे यौनरोग नहीं होते, लेकिन अब तक कोई भी शोध यह साबित नहीं कर पाया।
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