कांवड़-यात्रा: यही तो है दंगा और बलवाइयों का मूल चेहरा

: वसीम बरेलवी की सलाह थी कि बच्चे को मजहबी शिक्षा हरगिज रोकें :आप शिवलिंग पर जल चढ़ाने जा रहे हैं तो फिर यह क्‍या हो रहा है : महादेव भोलेनाथ के भक्‍त इतने अंधभक्‍त मवाली कैसे बने : दंगा और दंगाइयों को पहचानिये। निदान भी खोजिए : लखनऊ में लाख से ज्‍यादा मुसलमानों ने […]

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अर्णब जानता था कि जीजा हैं कोतवाल, फिर डर काहे का

: न पीएमओ के छिछोरेपन पर अचरज आ रहा है, और न ही महाराष्‍ट्र की सरकार अथवा पुलिस की सक्रिय पर : अर्णब समझ चुका था कि जीजा हैं कोतवाल, फिर डर काहे का : अर्णब-कांड- एक कुमार सौवीर लखनऊ : बालाकोट एयर-स्‍ट्राइक की पूर्व-सूचना थी अर्णब गोस्‍वामी के पास, तो इसमें आश्‍चर्य की क्‍या […]

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औली के बुग्‍याल को चर गयी सरकार, ढलान पर बना दिया होटल

: हिमालयी घास की बेशकीमती ढलानें बचना कितना जरूरी : पर्यटन विभाग ने ही लम्बा ऊंचा होटल पूरी ढलान को ढांप कर बना डाला : बुग्याल का जो हश्र इन कुछ सालों में हमने किया है ,उसमें कड़े फैसले की जरूरत : अतुल सिंह जोशीमठ : नैनीताल हाईकोर्ट के हालिया आदेश से यह पुन: स्थापित […]

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स्‍वतंत्रता दिवस में राजनीतिक बंदरों की उछलकूद, लगाइये ठहाके

: झण्‍डारोहण के दौरान अपने ही नेता को सैंडलों से कूट दिया एक महिला ने : भाजपा के झण्‍डे को राष्‍ट्रध्‍वज समझ कर सम्‍मेलन में राष्‍ट्रगीत गा गये भाजपाई : मंत्री ने झंडा फहराया, लेकिन पहले नीचे, फिर ऊपर गया झंडा : कुमार सौवीर लखनऊ : अब यह तो पता नहीं है कि यह बिगड़ते […]

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इस संपेरे ने नाग-राज को पत्‍नी वाले वाम-अंग पर फिट कर डाला

: आइये सावन में भींजिए,हचक कर अंदरसा खाइये और दूध चांपिये, फुंफकार मारिये, मौका मिले तो डंस भी लीजिएगा : सहअस्तित्व के समभाव की सख्त अनिवार्य आवश्यकता : अन्‍यथा सर्वनाशी घमंड का जन्म होगा, जहां सोहर नहीं, मृत्यु का शोक गीत गढ़ता है :  कुमार सौवीर लखनऊ : यह जो संपेरे होते हैं न, एक नम्बर […]

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देवरिया-काण्‍ड की असि‍लयत खोदनी हो तो कप्‍तान से पूछिये सिर्फ दो सवाल

: देवरिया-काण्‍ड से जुड़े सवालों की बारिश हुई, तो कप्‍तान ने फोन ही काट दिया : आखिर असल कहानी क्‍या है, सवालों पर बगलें झांकने लगते हैं पुलिस अधीक्षक : मीडिया में केवल वही दिखाया जा रहा है जो पुलिस बताती है : कुमार सौवीर लखनऊ : आप अगर देवरिया कांड को साफ-साफ समझना चाहते […]

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बहादुरी पर ग्रहण लगा देता है बुढ़ापा, जैसे महिला आश्रम में रहने वाली उमा

: आश्रम में रहने को हम स्टिग्मा समझते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। : गुस्से में वह उस लड़के के घर पहुँचीं और उसका गिरेबान पकड़ कर पूछा, शादी करोगे मुझसे? : फिर भी, उम्र बढ़ने के साथ कई तरह के डर, चिंताएँ और फ़ोबिया हो जाते हैं :  शशि शर्मा नई दिल्‍ली : आज मैं […]

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फट्टू डाक्‍टर: एक ने पचास लाख की रंगदारी अदा कर दूसरों पर संकट बढाया

: यूपी में लहलहाने लगी है रंगदारी उगाहने वाले अपराधियों की फसल : जौनपुर में में एक डॉक्‍टर ने भयभीत होकर अदा कर दिया पचास लाख रूपये : दूसरे ने बहादुर दिखायी और पुलिस की सहायता से दबोच लिया रंगदारी मांगने वाला अपराधी : कुमार सौवीर लखनऊ : कई डॉक्‍टर भले ही अपने मरीज का […]

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मुल्क: जमीनी सवालों को आसमान तक पहुंचाने वाली फिल्‍म

: क्यों किसी एक विशेष समुदाय के प्रति उपधारणा कर ली जाती हैं: आखिर इतने पढ़ने लिखने का क्या फायदा? जबकि हम हिंसा को समर्थित कर रहे हैं : आइए अपने सपनों के भारत का निर्माण करें जहां अमन और शांति हो : शिवानी कुलश्रेष्‍ठ लखनऊ : मुल्क… कहते हैं कि फिल्में समाज का आईना होती हैं। […]

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झगड़ा एबीपी न्‍यूज का: दिल्‍ली में गधों की तादात अच्‍छी-खासी है

: निचले पायदान तक उतरने की उतावली पर आमादा है सरकार : घिनौने आरोप। और निशाने पर हैं ब्रॉडकॉस्‍टर्स गिल्‍ड और एडिटर्स गिल्‍ड : पत्रकारिता में चल रही है कुकुर-झौंझौं : पुण्‍यप्रसून का चरित्र गंदला, तो गिल्‍ड में चारित्रिक दोष : कुमार सौवीर लखनऊ : पत्रकारिता बनाम बजरंग दल या गौरक्षक जैसा माहौल। यह तो […]

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पुण्‍यप्रसून दूध के धुले नहीं, लेकिन आज दूसरा खतरा भयावह है

: पुण्‍यप्रसून ने पत्रकारिता की सीमाएं तोड़ीं, पर हमारा निशाना तो निरंकुश सत्‍ता पर है : : हिन्‍दी पत्रकारिता के शिखर-पुरूष कमर वहीद नकवी से पत्रकारिता के ताजा विवादों पर बातचीत : दूध के धुले नहीं रहे हैं पुण्‍यप्रसून : कुमार सौवीर लखनऊ : एक पत्रकार कभी भी किसी भी मामले में पक्षकार नहीं बन […]

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हुर्रे, हम जीत गये। कांपते सुब्रत राय का ऐलान:- आपकी सारी मांगें मंजूर

: लगा, जैसे किसी विशाल मैदान में हजारों-लाखों सिंह-व्याघ्र एकसाथ दहाड़ रहे हों : जीत के लिए बेहद परिश्रम और जीत का उल्लास इसी तरह मनाया जाता है : हर सांस में जिजीविषा, हर पल हौसलों की लहर, हर कदम में जीत, हर धड़कन में जीवन्तता : नंगे अवधूत की डायरी पर दर्ज हैं सुनहरे दर्ज […]

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मी-लॉर्ड खफा हैं हिंदी से, वकील पर लगाया जबरदस्त जुर्माना

: इलाहाबाद हाईकोर्ट के मी-लॉर्ड से हिन्‍दी में बहस करने पर आमादा है वकील की पुंगी बजी : खतरे में है देश की बिंदी, यानी माथे की बिंदी, जिसको कहते हैं हिंदी : खबरें है कि योर ऑनर नहीं चाहते थे कि कोई वकील उनके सामने हिंदी में संबोधित करें : कुमार सौवीर लखनऊ : […]

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बुड्ढा सम्‍पादक अब बच्‍चा हो गया। चिड़ीमारी भी करता है

: शम्‍भू दयाल बाजपेई अब 64 प्‍लस हो गये। पहले खबरों से खेलते थे, अब सुबह-सुबह चिडि़यों से खेलते हैं : सफल – जीवन जानने को मानता था । खुद को जानना , जीवन – रहस्‍य को समझ लेना : सात महीना का पोता अब नया पाठ पढ़ा रहा है अपने पितामह को : दोलत्‍ती […]

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एक दिन सम्‍पादक के घर

: कानपुर, देहरादून और अमर उजाला में कानपुर, देहरादून तथा बरेली में सम्‍पादक रह चुके हैं दिनेश जुआल : लैब्राडोर तो ऐसा कूदा, मानो जन्म-जन्मांतर का रिश्ता हो : वाकई अर्धांगिनी। जुयाल जी के जीवन के हर लम्हे-मोड़ का हर स्पंदन, दंश और आनंद भी खूब जानती हैं : कुमार सौवीर देहरादून : किसी से […]

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